गोपाल भार्गव की हो सकती है 'छुट्टी', शिवराज का बढ़ेगा कद, पढ़ें वीडी शर्मा की ताजपोशी के बाद क्या-क्या होगा
भोपाल/ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में दिग्गज दावेदारों को किनारे कर विष्णु दत्त शर्मा की ताजपोशी ने साफ कर दिया है कि भाजपा प्रदेश में अभी और कई फेरबदल करने जा रही है। इस फेरबदल में जातीय समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। ऐसे में कई दिग्गजों के पर कतरे जा सकते हैं। साथ ही कई का प्रमोशन भी हो सकता है। नए अध्यक्ष के रूप में वीडी शर्मा की ताजपोशी के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
वीडी शर्मा की नियुक्ति में संघ की इच्छा के बाद सबसे बड़ी सहमति पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की देखी जा रही है। शिवराज इस पद के प्रबल दावेदारों के नाम पर सहमत नहीं थे। ऐसे में केंद्रीय संगठन ने न चेहरे को कमान सौंपी। सूत्रों के मुताबिक राकेश सिंह का पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ तालमेल न बैठना उनके हटने का एक प्रमुख कारण बना
शिवराज नहीं थे सहमत:-
केंद्रीय संगठन राकेश सिंह को एक और मौका देना चाहता था, लेकिन शिवराज सहमत नहीं थे। ऐसे में दिसंबर में होने वाला चुनाव टल गया। आखिर में संघ की पसंद के रूप में उभरे वीडी शर्मा पर शिवराज ने सहमित जताई। उन्हें एक सप्ताह पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिल्ली बुलाया था। अंतत: वीडी शर्मा के नाम पर मुहर लगी।
ये लोग थे दावेदार:-
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए कई दिग्गज नेता दौड़ में शामिल थे। सभी को पछाड़ते हुए वीडी शर्मा ने कुर्सी पर कब्जा जमा लिया। सबसे बड़ी दावेदारी निवर्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह की मानी जा रही थी। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी पूरी ताकत से जुटे थे। दलित चेहरे के रूप में वीरेंद्र खटीक और लाल सिंह आर्य के नाम भी सामने आए थे तो वहीं प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद भदौरिया भी सक्रिय थे, लेकिन संघ की पसंद और कम उम्र के चलते वीडी शर्मा सब पर भारी पड़े।
बदले जा सकते हैं नेता प्रतिपक्ष:-
अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को हटाकर तेज तर्रार कोई नया चेहरा लाने की सुगबुगाट शुरू हो गई है। दोनों प्रमुख पदों पर ब्राह्मणों होने से सामाजिक असंतुलन को साधने के लिए पार्टी किसी अनुभवी विधायक को सामने ला सकती है। प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों पदों पर एक ही अंचल के नेताओं के होने से भी सूत्रों के मुताबिक यह बदलाव तय माना जा रहा है।
शिवराज का बढ़ सकता है कद:-
भाजपा में हुई राजनीतिक सर्जरी को देखते हुए यह साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में शिवराज सिंह चौहान भी अहम भूमिका में सामने आएंगे। उन्हें या तो केंद्र में कोई बड़ा पद सौंपा जा सकता है या फिर प्रदेश में ही उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। चूंकि शिवराज सिंह की इच्छा मध्यप्रदेश में ही कार्य करने की रही है इसलिए दूसरे विकल्प पर ज्यादा संभावनाएं हैं।
दो उपचुनाव की परीक्षा:-
वीडी शर्मा के सामने सबसे पहले प्रदेश में होने वाले विधानसभा के दो उपचुनाव कड़ी परीक्षा होंगे। अगर अभी भाजपा के पास थी। प्रदेश संगठन में कई नेता शर्मा से बहुत सीनियर हैं या उनके समकक्ष हैं। ऐसे में इन नेताओं के तालमेल बैठाकर काम करना भी उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।